वाराणसी: भोजपुरी फिल्मों के मशहूर अभिनेता और आज़मगढ़ के पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। वाराणसी में एक फिल्म के प्रमोशन के दौरान उन्होंने कहा कि “अखिलेश यादव अपने धर्म पर चोट करने का एक भी अवसर नहीं छोड़ते। वे हिंदू धर्म और देवी-देवताओं का अपमान कर एक खास वर्ग को खुश करना चाहते हैं।”

धर्म के नाम पर राजनीति नहीं, विकास की बात होनी चाहिए 

निरहुआ ने कहा कि “अखिलेश को लगता है कि मंदिरों और सनातन पर हमला कर वे मुसलमानों को खुश कर पाएंगे, लेकिन अब जनता समझ चुकी है कि ऐसे राजनीतिक हथकंडे काम नहीं आने वाले। देश के हर वर्ग को विकास और राष्ट्रहित की राजनीति चाहिए।”

इटावा में कथावाचक पिटाई को बताया 'गंदी राजनीति'

इटावा में कथावाचक की पिटाई के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए निरहुआ ने कहा कि यह पूरी तरह ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ का उदाहरण है। उन्होंने कहा, “सिर्फ ब्राह्मण ही कथावाचक हो, ऐसा नहीं है। जो ज्ञानी होता है, वही पंडित कहलाता है।”

भाषा विवाद पर बोले – "मैं भोजपुरी बोलता हूं, दम है तो निकालकर दिखाओ

महाराष्ट्र में भोजपुरी और मराठी भाषा को लेकर चल रही बहस पर उन्होंने दो टूक कहा: “मैं खुला चैलेंज देता हूं कि मैं भोजपुरी बोलता हूं। अगर किसी को दिक्कत है तो निकालकर दिखाओ। गरीब आदमी को निशाना बनाना बंद करो।”

अपनी पहचान और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए

सावन में नाम और धर्म छुपाने को लेकर हो रही बहस पर निरहुआ ने कहा, “हमें अपनी पहचान पर गर्व है। सदन में रवि किशन जी भी भोजपुरी में बात करते हैं। विविधता में एकता हमारी असली ताकत है।”

बिहार-यूपी चुनाव पर भी रखी राय

उत्तर प्रदेश और बिहार में आगामी चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि “बिहार में एनडीए सरकार ने काफी सुधार किए हैं, सड़कें बेहतर हुई हैं। लेकिन जंगलराज वाले लोग फिर से सत्ता में लौटना चाहते हैं।” चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि “इस वक्त मेरा ध्यान फिल्मों पर है, लेकिन जहां पार्टी आदेश देगी, मैं वहां जाऊंगा।”

आजमगढ़ की तस्वीर बदली – निरहुआ का दावा

निरहुआ ने कहा कि आजमगढ़ में पहले लोग प्रमाण पत्र लेने भी नहीं जाते थे, लेकिन अब बीजेपी के कामकाज से वहाँ का माहौल बदल गया है। “अब लोग वहां आत्मविश्वास के साथ सरकारी दफ्तरों में जाते हैं। यही असली बदलाव है।”

निरहुआ के ये बयान सियासी हलचल को एक बार फिर गर्म कर सकते हैं। जहां वे भोजपुरी और हिंदू संस्कृति पर गर्व की बात करते हैं, वहीं विपक्ष पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। देखना होगा कि उनके इन बयानों पर सियासी प्रतिक्रियाएं क्या आती हैं।