रांची: शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही एसीबी गिरफ्तार आरोपितों के विरुद्ध साक्ष्य जमा करने में जुटी है। एसीबी को तय समय सीमा में चार्जशीट दायर करना होगा।

एसीबी ने 20 व 21 मई को उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार तथा प्लेसमेंट एजेंसी मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सभी पांचों आरोपित न्यायिक हिरासत में हैं।

इनकी गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर यानी 19 जुलाई तक हर हाल में एसीबी को गिरफ्तार सभी पांचों आरोपितों पर चार्जशीट करना होगा।

अगर 60 दिनों के भीतर एसीबी चार्जशीट करने में विफल होगी तो सभी आरोपित जेल से बाहर हो जाएंगे। यही वजह है कि एसीबी इस पूरे प्रकरण में एक-एक कर सभी संदिग्धों का बयान ले रही है, संबंधित साक्ष्य व कागजात जुटा रही है, ताकि कोर्ट में मजबूती से आरोप पत्र दाखिल किया जा सके।

डीजी अनुराग गुप्ता हर दिन ले रहे हैं अनुसंधान की गुणवत्ता की जानकारी

शराब घोटाला मामले की जांच कर रहे अनुसंधानकर्ता से डीजी अनुराग गुप्ता हर दिन अनुसंधान की गुणवत्ता की जानकारी ले रहे हैं। वे अनुसंधानकर्ता सहित एसीबी के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर उनसे अनुसंधान की अद्यतन जानकारी ले रहे हैं।

एसीबी कोर्ट में मजबूती के साथ साक्ष्य प्रस्तुत कर सके, अनुसंधान में कोई कमी न रहे और दोषियों को सजा दिलाई जा सके, इसपर डीजी का फोकस है।

एसीबी गिरफ्तार आरोपितों के विरुद्ध पुख्ता सबूत के साथ विशेष अदालत में पहुंचेगी। इसके लिए एसीबी आइएएस विनय कुमार चौबे के सहयोगियों, प्लेसमेंट एजेंसी के प्रतिनिधियों, शराब निर्माता कंपनियों का बयान ले रही है।

नकली होलोग्राम आपूर्ति करने वाली प्रिज्म कंपनी के संचालक को भी होगा समन

राज्य में मई 2022 से शुरू उत्पाद नीति के दौरान शराब की बोतलों के लिए होलोग्राम आपूर्ति करने की जिम्मेदारी प्रिज्म कंपनी को दी गई थी।

आरोप है कि उत्पाद अधिकारियों ने प्रिज्म के साथ मिलकर राज्य में नकली होलोग्राम पर शराब की अवैध तरीके से आपूर्ति कराई। इससे करोड़ों रुपये की हेराफेरी का भी आरोप है।

इस मामले की जांच ईडी कर रही है, अब एसीबी भी इस पूरे प्रकरण को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में जांचेगी और इससे संबंधित तथ्य कोर्ट में प्रस्तुत करेगी।

इसके लिए एसीबी के अधिकारी प्रिज्म कंपनी के संचालक को भी समन करेंगे, ताकि पूछताछ कर उनका पक्ष ले सकें।