इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जोरों पर, घर-घर जाकर कर रहे मालिकों से बात

इंदौर: मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजना पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण के लिए मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (एमपीआईडीसी) भूस्वामियों के साथ बैठकें कर रहा है। अब एमपीआईडीसी के अधिकारी भूस्वामियों के घर-घर जाकर उन्हें योजना के बारे में बता रहे हैं। अधिकारियों की मुहिम रंग भी ला रही है। अब तक 250 बीघा से अधिक जमीन पर सहमति मिल चुकी है। वहीं 700 से अधिक आपत्तियों का निराकरण भी हो चुका है। कॉरिडोर के लिए एमपीआईडीसी भूस्वामियों से सहमति पत्र ले रहा है। बुधवार तक 800 से अधिक भूस्वामियों ने आपत्ति जताई है, जिनमें से अधिकांश ने जमीन देने पर सहमति जताई है।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई
एमपीआईडीसी के कार्यपालक निदेशक राजेश राठौर ने बताया कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जहां कार्यालय में मेले और सुनवाई का आयोजन किया गया है। वहीं विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भूस्वामियों के घर जा रहे हैं। यहां उन्हें मुआवजा नीति, आवंटन, प्रक्रिया आदि के बारे में बताया जा रहा है। इस दौरान भूमि स्वामियों की शंकाओं का समाधान भी किया जा रहा है। अब तक सिंडोरा, सिंडोरी, नावदापंथ, बिसनवाड़ा और रिजलाय गांव के भूमि स्वामियों से मुलाकात की है, जिनमें से अधिकांश ने समझाइश के बाद सहमति दे दी है।
36 प्रतिशत विकसित जमीन दी जाएगी
एमपीआईडीसी 60 प्रतिशत जमीन विकसित कर भूमि स्वामी को भूमि अधिग्रहण नीति के लिए देगी, लेकिन जमीन का यह हिस्सा भूमि स्वामी द्वारा दी गई जमीन का केवल 36 प्रतिशत ही होगा। क्योंकि परियोजना में 40 प्रतिशत जमीन का उपयोग विकास के लिए किया जाएगा।
यह पूरी परियोजना
पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर 19.6 किमी लंबी और 75 मीटर चौड़ी सड़क के दोनों ओर 300-300 मीटर के बफर जोन में विकसित किया जाएगा। इसमें 17 गांवों की कुल 1331 हेक्टेयर जमीन शामिल है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2410 करोड़ रुपये है तथा इसे तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है।