सुप्रीम कोर्ट का आदेश: झारखंड में रामनवमी के जुलूसों के दौरान बिजली आपूर्ति बंद की जाएगी, अस्पतालों को सुरक्षा!

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड सरकार और उसकी बिजली वितरण कंपनी को रामनवमी के दौरान शोभा यात्रा के मार्गों पर बिजली आपूर्ति काटने की अनुमति दे दी, ताकि करंट लगने की घटनाएं न हों. सर्वोच्च अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के उस निर्देश को संशोधित किया, जिसमें राज्य प्राधिकारियों को धार्मिक शोभा यात्राओं के दौरान बिजली की आपूर्ति काटने से रोक दिया गया था.
सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार एवं न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इन दलीलों पर गौर किया कि इन शोभा यात्राओं के दौरान दो दशक से अधिक समय से बिजली आपूर्ति बाधित की जाती रही है ताकि करंट लगने की घटनाएं न हों.
उन्होंने कहा कि ऐसी शोभा यात्राओं में लोग आमतौर पर लंबे झंडे लेकर चलते हैं जिससे करंट लगने की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का खतरा होता है. हालांकि, पीठ ने झारखंड सरकार से कहा कि वह बिजली कम से कम काटे और शोभा यात्रा वाले मार्गों पर ही बिजली काटी जाए.
न्यायालय ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इस दौरान अस्पतालों में बिजली आपूर्ति बाधित न हो.न्यायालय ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के प्रमुख से उच्च न्यायालय में यह हलफनामा दाखिल करने को कहा कि बिजली न्यूनतम अवधि के लिए काटी जाएगी और अस्पतालों में आपातकालीन आपूर्ति जारी रखी जाएगी. भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली रामनवमी छह अप्रैल को है.
झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक
झारखंड हाई कोर्ट ने त्योहारों के मौके पर जुलूस निकालने के समय 10-10 घंटे बिजली कटौती पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा कि रामनवमी, मोहर्रम, सरहुल मौके पर लंबे समय तक बिजली की कटौती नहीं की जाए, इससे लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ती हैं.
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि जुलूस के समय अपने-अपने झंडों की लंबाई इस हिसाब से रखें कि वो बिजली के खंभों पर फंसें नहीं और करंट लगने की दुर्घटनाओं से सुरक्षा बरती जा सके. कोर्ट की ओर से इस निर्देश को तुरंत मानने के लिए कहा गया था. कोर्ट ने कहा कि अगर मौसम खराब है और स्थिति आपात की बन रही है तब ही बिजली की कटौती करें, अन्यथा नहीं.
झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि बिजली की कटौती से बच्चे, बुजुर्गों और महिलाओं सहित शहर के लोगों को गर्मी में मुश्किलें उठानी पड़ती हैं. कोर्ट ने कहा कि लाइट की कटौती से छात्रों को उनकी पढ़ाई और व्यापारियों की दुकान में बिक्री में कमीं आती है, जिससे राजस्व पर भी असर पड़ता है.
महाधिवक्ता ने कहा कि सरहुल जैसे त्यौहारों पर जुलूस में झंडा लेकर चलने वाले लोगों को चोट लगने से बचाने के लिए बिजली आपूर्ति बंद करने का कठोर कदम उठाना ज़रूरी समझा गया. उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला कि ऐसे खंभों के बिजली के तारों के संपर्क में आने का ख़तरा था. उन्होंने कहा कि साल 2000 में बिजली के तार के संपर्क में आने से 29 लोगों की मौत हो गई थी.